देव भूमि उत्तराखण्ड की इस पवित्र माटी में अनेक धर्मात्माओं एंव मनीषियों ने जन्म लिया एवं समाज हित में अपना सर्वस्व लगा दिया। ऐसी ही एक महान विभूति जनपद हरिद्वार के सुदूर पूर्व ग्रामीण अंचल में उत्तर प्रदेश/उत्तराखण्ड की सीमा के समीपस्थ छोटे से गाँव मखदूमपुर के एक सम्पन्न जमींदार घराने में अवतरित हुई। जिनको समाज ने प्रधान हरनन्द सिंह के नाम से जाना। आपकी शिक्षा जो देहरादून में चल रही थी। बाल्यकाल में माता-पिता का साया सिर से उठ जाने के कारण अधूरी रह गयी। प्रधान जी की धर्म के प्रति बडी आस्था थी जिस को मूर्त रूप देने के लिए उनके द्वारा एक श्री सत्य नारायण मंदिर का निर्माण 1938 0 में कराया गया। प्रधान जी ने शिक्षा के महत्त्व को समझा व इसी मंदिर परिसर में एक संस्कृत गुरूकुल पाठशाला का निर्माण 1940 0 में कराया जो कि पूरी तरह से आवासीय था व उसमें पढ़ने वालें विद्यार्थियों व पढ़ाने वाले आचार्यों का समस्त खर्च स्वंय प्रधान जी के द्वारा वहन किया जाता था। संस्कृत पाठशाला का अस्तित्व समाप्त होते ही सन् 1955 में यह जूनियर हाईस्कूल तथा सन् 1965 में उच्चीकृत हो गया। जिसमें अन्य विषयों सहित विज्ञान की भी शिक्षा प्रदान की जाती थी। विद्यालय सन् 2008 में इण्टरमीडिएट तक उच्चीकृत हो गया तथा इस में साहित्यिक वर्ग व विज्ञान वर्ग तथा सन् 2020 से कृषि विज्ञान व वाणिज्य वर्ग की शिक्षा प्रदान की जा रही है। विद्यालय उत्तरोंत्तर प्रगति की ओर अग्रसर है। विद्यालय ने अनेक उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। प्रारम्भ से ही संस्थाका शैक्षिक, खेलकूद, सांस्कृतिक व अन्य क्रिया कलापों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आरम्भ से ही जनपद स्तर की अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन करता रहा है। तथा इस क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका अदा की है।